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गद्यांश आधारित वहुविकल्पीय प्रश्न
अव तक सफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टम वालों ने न जाने दिया। तो मज़बूरी हे छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सेयद कहते हैं फिर वायदा कटके झुठलाने के क्या मायने ? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए, तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कोन इसे देखेगा? और अगर देख लिया ? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सव ही ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।
प्रश्न 6 प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है ?
(i) श्रम विभाजन और जाति प्रथा
(ii) नमक
(iii) भक्तिन
(iv) वाज़ार-दर्शन