पुस्तकालय और उसका सदुपयोग [A.I. CBSE 2003]

 २१ पुस्तकालय और उसका सदुपयोग [A.I. CBSE 2003]


मौन


विचार-बिंदु-• पुस्तकालय-ज्ञान के मंदिर आधुनिक पुस्तकालय • उपयोग कैसे करें पुस्तकालय के नियम • और शांत व्यवहार


पुस्तकालय-ज्ञान के मंदिर पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं। उन्नति के सभी सूत्र पुस्तकालयों में रखी पुस्तकों में सुरक्षित है। कोई भी विकासेच्छु मनुष्य इनकी सहायता से मनवांछित उन्नति कर सकता है। मनुष्य-जाति ने आज तक विकास के जितने भी कदम रखे हैं, सबका सिलसिलेवार ब्यौरा पुस्तकालयों में उपलब्ध है। आवश्यकता है पुस्तकालयों को खँगालने की।


आधुनिक पुस्तकालय-आधुनिक पुस्तकालय बड़े व्यवस्थित होते हैं। इनमें लाखों संख्या में पुस्तकें संगृहीत होती हैं। सैकड़ों पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। आजकल इलेक्ट्रॉनिक साधन भी उपलब्ध हैं। अनगिनत सुविधाओं वाले ये बड़े-बड़े पुस्तकालय पूरी तरह व्यवस्थित होते हैं। ये सारी पुस्तकें विषयानुसार अलग-अलग अलमारियों में रखी जाती हैं।


उपयोग कैसे करें-विद्यार्थियों को आरंभ से ही पुस्तकालय का उपयोग करना सीखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे पुस्तकालय की नियम व्यवस्था को भली-भाँति जान लें और उसे बनाए रखने का दृढ़ संकल्प कर लें। पुस्तकालय के नियम - हर पुस्तकालय के अपने-अपने नियम होते हैं। कुछ पुस्तकालय 15 दिनों के लिए पुस्तक देते हैं, कुछ


एक सप्ताह या कुछ अधिक समय के लिए छात्रों को चाहिए कि वे समय पर पुस्तक वापस करें। कोई अन्य छात्र उसी पुस्तक की तलाश में होगा यह सोचकर यथाशीघ्र पुस्तक वापस करें।


अच्छा विद्यार्थी पुस्तक को सँभाल कर रखता है। उस पर किसी प्रकार का निशान नहीं लगाता पुस्तकालय की पुस्तक सबकी संपत्ति है। उस पर किसी भी छात्र को व्यक्तिगत टिप्पणी करने का या निशान लगाने का कोई अधिकार नहीं है। कुछ छात्र पुस्तकों में से चित्र या पन्ने फाड़ लेते हैं। यह पाप है। कुछ पुस्तकें दुर्लभ होती हैं। उनकी एक ही प्रति उपलब्ध


होती है। अतः उसे अपने पास रख लेना सामाजिक संपत्ति की चोरी करने जैसा है।


मीन और शांत व्यवहार पुस्तकालय और मंदिर में प्रवेश करना एक समान मानना चाहिए। पुस्तकालय में किसी प्रकार का शोर नहीं करना चाहिए। जोर-जोर से बोलने की आदत को बाहर ही छोड़ आना चाहिए। इसी गरिमामय व्यवहार से ही पुस्तकालय का सदुपयोग किया जा सकता है।


20. पुस्तकों का महत्त्व


विचार-बिंदु पुस्तकें हमारी मित्र पुस्तकें प्रेरणा की स्रोत पुस्तकें विकास की सूत्रधार प्रचार का साधन • मनोरंजन का साधन


पुस्तकें हमारी मित्र पुस्तकें हमारी मित्र हैं। वे अपना अमृत कोष सदा हम पर न्योछावर करने को तैयार रहती हैं। अच्छी पुस्तकें हमें रास्ता दिखाने के साथ-साथ हमारा मनोरंजन भी करती हैं। बदले में वे हमसे कुछ नहीं लेतीं, न ही परेशान या बोर करती हैं। इससे अच्छा और कौन-सा साथी हो सकता है कि जो केवल कुछ देने हकदार हो, लेने का नहीं।


पुस्तकें : प्रेरणा की स्रोत पुस्तकें प्रेरणा की भंडार होती हैं। उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान कर्म करने की भावना जागती है। महात्मा गाँधी को महान बनाने में गीता, टालस्टाय और थोरो का भरपूर योगदान था। भारत की आजादी का संग्राम लड़ने में पुस्तकों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। मैथिलीशरण गुप्त की 'भारत-भारती' पढ़कर कितने ही नौजवानों ने आज़ादी के आंदोलन में भाग लिया था।


निबंध लेखन

पुस्तकें विकास की सूत्रधार पुस्तकें ही आज की मानव सभ्यता के मूल में हैं पुस्तकों के द्वारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी बीड़ी तक पहुंचते-पहुंचते सारे युग में फैल जाता है। विपिल महोदय का कथन है- "पुस्तकें प्रकाश गृह हैं जो समय के विशाल समुद्र ई छड़ी की गई हैं।" यदि हजारों वर्ष पूर्व के ज्ञान को पुस्तकें अगले युग तक न पहुँचातीं तो शायद इस वैज्ञानिक सभ्यता का जन्म होता।

•प्रचार का साधन पुस्तकें किसी भी विचार, संस्कार या भावना के प्रचार का सबसे शक्तिशाली साधन हैं। तुलसी के रामचरितमानस' ने तथा व्यास रचित महाभारत ने अपने युग को तथा आने वाली शताब्दियों को पूरी तरह प्रभावित किया आजकल भन्न सामाजिक आंदोलन तथा विविध विचारधाराएँ अपने प्रचार-प्रसार के लिए पुस्तकों को उपयोगी अस्त्र के रूप में अपनाती रामचरितमानस' ने तथा व्यास रचित महाभारत ने अपने युग को तथा आने वाली शताब्दियों को पूरी तरह प्रभावित किया। आजकल




विभिन्न सामाजिक आंदोलन तथा विविध विचारधाराएँ अपने प्रचार-प्रसार के लिए पुस्तकों को उपयोगी अस्त्र के रूप में अपनाती




निबंध लेखन पुस्तकें विकास की सूत्रधार पुस्तकें ही आज की मानव सभ्यता के मूल में हैं। पुस्तकों के द्वारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी बीढ़ी तक पहुंचते-पहुंचते सारे युग में फैल जाता है। विपिल महोदय का कथन है- "पुस्तकें प्रकाश गृह हैं जो समय के विशाल समुद्र है बड़ी की गई हैं।" यदि हजारों वर्ष पूर्व के ज्ञान को पुस्तकें अगले युग तक न पहुँचात तो शायद इस वैज्ञानिक सभ्यता का जन्म होता। •प्रचार का साधन पुस्तकें किसी भी विचार, संस्कार या भावना के प्रचार का सबसे शक्तिशाली साधन हैं। तुलसी के




• मनोरंजन का साधन-पुस्तकें मानव के मनोरंजन में भी परम सहायक सिद्ध होती है। मनुष्य अपने एकांत क्षण पुस्तकों के साय गुजार सकता है। पुस्तकों के मनोरंजन में हम अकेले होते हैं, इसलिए मनोरंजन का आनंद और अधिक गहरा होता है। इसीलिए किसी ने कहा है-"पुस्तक जाग्रत देवता हैं। उनकी सेवा करके तत्काल वरदान प्राप्त किया जा सकता है।"